➤ साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण 21-22 सितंबर की रात को लगेगा, भारत में दिखाई नहीं देगा
➤ गर्भवती महिलाओं को सूतक काल में चाकू, ब्लेड, सिलाई और घर से बाहर निकलने में सावधानी बरतनी होगी
➤ ग्रहण के दौरान पूजा, भोजन और दैनिक कार्यों में विशेष नियमों का पालन आवश्यक
कल (रविवार) की रात साल 2025 का दूसरा सूर्य ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण भारतीय समयानुसार 21 सितंबर रात 11 बजे शुरू होकर 22 सितंबर को सुबह 3 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा। ग्रहण की कुल अवधि लगभग डेढ़ से तीन घंटे के बीच होगी। हालांकि, भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल का प्रभाव यहाँ नगण्य रहेगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य ग्रहण को अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान सूतक काल शुरू हो जाता है, जो ग्रहण से लगभग 9 घंटे पहले शुरू होकर ग्रहण के समाप्त होने तक रहता है। इस काल में कई गतिविधियाँ निषिद्ध होती हैं, जैसे खाना पकाना, खाने-पीने, सोना, शोर करना, और किसी भी बड़े काम में संलग्न होना।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानियाँ:
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सूतक काल में चाकू, ब्लेड, कैंची जैसी नुकीली वस्तुओं का प्रयोग न करें।
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सिलाई-कढ़ाई और अन्य नुकीली गतिविधियों से बचें।
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घर से बाहर निकलना अत्यंत आवश्यक न होने पर टालें। यदि निकलना जरूरी हो तो पेट पर हल्दी या गेरू लगाएँ, ऐसा करने से गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।
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सूतक काल में सब्ज़ियाँ काटने और नुकीली वस्तुओं के उपयोग से बचें।
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घर में तुलसी का पत्ता रखें, दूध या पानी में तुलसी डालना अशुद्धि को दूर करता है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें:
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ग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देखें, सुरक्षित चश्मे या वेल्डिंग चश्मे का प्रयोग करें।
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पूजा या अनुष्ठान करते समय मानसिक प्रार्थना और ध्यान पर ध्यान केंद्रित करें।
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भोजन और जल का सेवन सीमित करें।
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आध्यात्मिक रूप से केंद्रित रहें और मन की शुद्धि बनाए रखें।
अनुष्ठान और उपाय:
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मंत्र जाप, दान-पुण्य और स्नान करना लाभकारी माना जाता है।
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सूर्य ग्रहण का समय आध्यात्मिक आत्मनिरीक्षण और ध्यान के लिए उपयोग किया जा सकता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण:
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हिंदू ज्योतिषी ग्रहण के दौरान ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करते हैं।
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इस जानकारी का उपयोग भविष्यवाणी और कुंडली के विश्लेषण में किया जाता है।
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ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ सकता है, विशेषकर सूर्य के प्रभाव वाली राशियों पर।



